5 Essential Elements For Shodashi

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The facility position in the course of the Chakra shows the highest, the invisible, as well as the elusive Middle from which all the determine Bhandasura and cosmos have emerged.

Several terrific beings have worshipped aspects of Shodashi. The great sage, Sri Ramakrishna, worshiped Kali all through his entire lifestyle, and at its culmination, he compensated homage to Shodashi via his have wife, Sri Sarada Devi. This illustrates his greatness in looking at the divine in all beings, and especially his life husband or wife.

In accordance with the description in her dhyana mantra, Tripurasundari’s complexion shines with The sunshine from the increasing Solar. This rosy color represents Pleasure, compassion, and illumination. She is revealed with four arms by which she retains 5 arrows of flowers, a noose, a goad and sugarcane for a bow. The noose signifies attachment, the goad signifies repulsion, the sugarcane bow represents the mind as well as the arrows would be the 5 sense objects. Inside the Sakta Tantra, it really is Mother that is supreme, as well as the gods are her instruments of expression. Through them, she presides about the creation, servicing, and dissolution of the universe, together with over the self-concealment and self-revelation that lie driving Individuals a few actions. Self-concealment could be the precondition together with the result of cosmic manifestation, and self-revelation triggers the manifest universe to dissolve, disclosing the important unity. Tripurasundari signifies the point out of recognition that may be also

She's commemorated by all gods, goddesses, and saints. In some spots, she is depicted carrying a tiger’s pores and skin, which has a serpent wrapped about her neck as well as a trident in one of her fingers even though the opposite holds a drum.

During the spiritual journey of Hinduism, Goddess Shodashi is revered being a pivotal deity in guiding devotees toward Moksha, the last word liberation from your cycle of beginning and Loss of life.

ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ check here को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

सा नित्यं नादरूपा त्रिभुवनजननी मोदमाविष्करोतु ॥२॥

देवस्नपनं मध्यवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

हस्ते पाश-गदादि-शस्त्र-निचयं दीप्तं वहन्तीभिः

करोड़ों सूर्य ग्रहण तुल्य फलदायक अर्धोदय योग क्या है ?

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥११॥

Celebrations like Lalita Jayanti highlight her significance, the place rituals and offerings are made in her honor. The goddess's grace is considered to cleanse previous sins and lead a single towards the final word intention of Moksha.

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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